ये किसका ख्याल कौन सी खुशबू सता रहीं हैं दिल को,
ये जो करार दिल में है… कहीं ये मोहोब्बत तो नहीं।
लाजवाब कर देतें हैं तेरे ख्याल दिल को,
मोहब्बत… तुझसे अच्छा तेरा तसव्वुर है।
मेरे सीने से लिपटे होते हैं आज भी एहसास तेरे,
जैसे लिखावट कोई लिपटी हो किताबी पन्नो से ।
रात मेरे ख़्वाबों में आए थे तुम, और देखो,
अभी तक महक रहा है, तुम्हारी ख़ुशबू से वो सिरहाना मेरा।
ज़िन्दगी की हर शाम हसीन हो जाए….,
अगर मेरी मोहब्बत मुझे नसीब हो जाये
एक शख्श इस तरह मेरे दिल में उतर गया
जैसे वो जानता था..मेरे दिल के सारे रास्ते
बुझ गया है तेरे हुस्न का हुक्का ऐ सनम
हम हैं कि फिर भी गुड़गुड़ाएँ जा रहे हैं।
उसने होठो से छू कर दरिया का पानी गुलाबी कर दिया,
हमारी तो बात और थी, उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया।
आँखों के सामने हर पल तुमको पाया है,
अपने दिल में सिर्फ तुमको ही बसाया है,
तुम्हारे बिना हम जिये भी तो कैसे,
भला जान के बिना भी कोई जी पाया है।
मोहब्बत के लबो पर फिर वही तकरार बैठी है,
एक प्यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है,
तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा,
मै तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।
चाहत है आपको अपना बनाने की,
जुर्रत की है आपसे दिल लगाने की,
आप हमे चाहे या न चाहे,
हमारी तो चाहत है आप पर मर मिट जाने की।
तुमको देखना और बस देखते रह जाना..
मानो दरिया में उतरना और बह जाना..
हम तेरे प्यार में कुछ ऐसा काम कर जायँगे..
लोग देखेंगे तुझे और याद हम आएंगे.
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है..
तेरी हर मुस्कान से मिली मुझे खुशी है..
मुस्कुराते रहना इसी तरह हुमेशा ..!
क्योंकि तेरी इस मुस्कान में मेरी जान बसी है ..!!
तेरी आँखों में रब दिखता हैं,
क्योकि सनम मेरा दिल तेरे लिए धड़कता हैं
यूं तो किसी चीज के मोहताज नही हम,
बस एक तेरी आदत सी हो गयी है।
उनकी बुरी आदत है मेरे बाल बिगाड़े रखना,
उनकी कोशिश है किसी और को अच्छा न लगूँ।
जो आईने में हो दिल के वो ही प्यार के काबिल है,
वरना दीवार के काबिल तो हर तस्वीर होती है।
कभी क़रीब तो कभी दूर हो के रोते हैं,
मोहब्बतों के मौसम भी क्या अजीब होते हैं।
जानते थे दोनों कि नसीब में क्या लिखा था,
मोहब्बत फिर भी बे-इन्तिहाँ कर डाली।
आप आसमान में तकते रह गए…..
हमने चाँद खिड़कियों पर देखा है..
बात मोहब्बत की थी
तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे
जिस्म से प्यार होता तो
तुझ से भी हसीन चेहरे बिकते है बाजार में
ये उनकी मोहब्बत का नया दौर है,कल तक जहाँ मै था आज वहाँ कोई और है!
ऐ खुदा मुझे जब बनाए
थोड़ी सी मिट्टी उसकी मिला देना
तू मुझे उसका नही बना सकता
तो उस जैसा मुझे बना देना
तेरी एक मुस्कान से सुधर गयी तबियत मेरी,
बताओ यार इश्क करते हो या इलाज करते हो।
मुझ जैसा कोई दुनिया में नादान भी न हो,
कर के जो इश्क कहता है नुकसान भी न हो।
इस दिल में तेरी ही यादें हैं जुबां पे तेरा ही ज़िक्र है,
मैं कहता हूँ ये इश्क़ है तू कहती है बस फ़िक्र है।
हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी,
जब भी सुनी है कमबख्त मोहब्बत सी हो गयी।
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,
और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
तेरे ही क़दमों में मरना भी और जीना भी,
तेरा प्यार है दरिया भी और सफ़ीना भी,
मेरी नज़र में तो अब सब बराबर हैं,
मेरे लिए तो तू ही है काशी तू ही मदीना भी।
दो कदम चलने के लिए साथ माँगा है,
बस पल दो पल के लिए प्यार माँगा है,
हम समझते हैं उसकी मज़बूरियों को,
इसलिए उसे उसकी मज़बूरियों के साथ माँगा है।
क़दमों की दूरी से दिलों के फांसले नहीं बढ़ते,
दूर होने से एहसास नहीं मरते,
कुछ क़दमों का फासला ही सही हमारे बीच,
लेकिन ऐसा कोई पल नहीं जब हमको याद नहीं करते।
मैं खुद हैरान हु की तुझसे
इतनी मोहब्बत क्यू है मुझे,
जब भी प्यार शब्द आता है
चेहरा तेरा ही याद आता है.
मेरा तुझ से मिलना मेरे लिए ख़्वाब सही,
पर मैं तुझे भूल जाऊ ऐसा लम्हा मेरे पास नही
आप आसमान में तकते रह गए…..
हमने चाँद खिड़कियों पर देखा है..
बात मोहब्बत की थी
तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे
जिस्म से प्यार होता तो
तुझ से भी हसीन चेहरे बिकते है बाजार में
ऐ खुदा मुझे जब बनाए
थोड़ी सी मिट्टी उसकी मिला देना
तू मुझे उसका नही बना सकता
तो उस जैसा मुझे बना देना
झूठ कहते हैं कि मोहब्बत आँखों से शुरू होती है,
दिल तो वो भी चुरा लेते हैं जो नजरें नहीं उठाते।
आँखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
होंठों से हम कुछ कह नहीं सकते,
कैसे बयाँ करें हम यह हाल-ए-दिल आपको,
कि तुम्हीं हो जिसके बगैर हम रह नहीं सकते।
ग़म्ज़ा नहीं होता की इशारा नहीं होता,
आँख उन से जो मिलती है तो क्या क्या नहीं होता।
मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब,
बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर।
तेरा नाम लूँ जुबान से तेरे आगे सिर झुका लूँ,
मेरा प्यार कह रहा है मैं तुझे खुदा बना लूँ।
बैठे हुए देते हैं दामन की हवाएं,
अल्लाह करे हम न कभी होश में आयें।
पल-पल जीना क्या और पल-पल मरना क्या,
साथ तुम्हारा, साथ हमारे अगर रहे तो कहना क्या।
आये जब वो सामने तो अज़ब तमाशा हुआ,
हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली।
गलत सुना था कि मोहब्बत आँखों से होती है,
दिल तो वो भी चुरा लेते हैं जो पलकें नहीं उठाते।
प्यार वो है जिसमे सच्चाई हो,
साथी की हर बात का एहसास हो,
उसकी हर अदा पर नाज़ हो,
दूर रह कर भी पास होने का एहसास हो।
क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को,
मुझ से लिपटे हैं मेरे ही नाम से डरने वाले।
भेज दी तस्वीर अपनी उनको ये लिख कर हमने
आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए।
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ,
कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए।
प्यार की तरह आधा अधूरा सा अल्फाज था मैं,
तुमसे क्या जुडा ज़िंदगी की तरह पूरी गजल बन गया।
यूँ तो तमन्ना दिल में ना थी लेकिन,
ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक बन बैठे।
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा,
मैं जो कह दूँ आप पर मरता हूँ मैं।
वो कहते हैं मुझसे कोई और बात करो,
लाऊँ कहाँ से बात अब उनकी बात के सिवा।
हर बार संभाल लूंगा गिरो तुम चाहे जितनी बार,
बस एक ही इल्तिज़ा है कि मेरी नज़रों से ना गिरना तुम कभी।